भगवान श्री राम के संघर्षशील जीवन को समर्पित कविता – श्री राम कविता
राम होना भी कोई खेल नही
सिर्फ नीति धर्म का ही मेल नही
मर्यादा को भी समविष्ट करना पड़े
वन के दुर्गम पहाड़ो को चढ़ना पड़े
पित्राज्ञा को धर वन को जाना पड़े
पर्णकुटीयो मे जीवन बिताना पड़े
खुद का भोजन सिया सँग बनाना पड़े
अपने जीवन को वन में बिताना पड़े
सँग लक्ष्मण को ले पथ में आगे बड़े
कर संतो के दर्शन वन शिखर को चढ़े
निज पुत्रो का कड़वा भी सुनना पड़े
सीता पर है विजित विरह चुनना पड़े
राम आदर्श है राम विश्वास है
राम केवट की नय्या की वो आस है
राम मानवता के उच्च आदर्श है
राम शिला सी नारी के स्पर्श है
राम करूंगा धर्म का भी गठजोड़ है
राम जीवन से जीवन का वो मोड़ है
राम के नाम से रामसेतु बना
राम के नाम से अष्म जल मे तना
राम शबरी के बेरो से खिल जायेगे
राम हनुमत के सीने में मिल जायेगे
विदेही का विश्वास है रामजी
सरयू सरिता के तट की आस है रामजी
राम भक्ति बाजारों में मिलती नही
रामशक्ति अलौकिक है, दिखती नही
राम संतो का तप और परिणाम है
राम से भी बड़ा राम का नाम है
– रूपचंद सोनी
घाटोंली, झालावाड़, राजस्थान
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This Post Has 3 Comments
जय श्री राम
राम नाम का साथ मीले तो
बने बिगड़े काम
जय श्री राम।
बहुत बढ़िया सोनी जी।
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