शिक्षक हैं हम शिक्षा के निज दीप जलाते जाएंगे।
फैलाकर प्रकाश ज्ञान का तिमिर मिटाते जाएंगे।।
देश के हर एक कोने में शिक्षा के उज्जवल दीप जले,
तिमिर मिटे अज्ञान का जग मे ज्ञानरूपी एक रीत चले।
ऊँच नीच को बदल प्रीत का गीत बनाते जाएंगे,
शिक्षक हैं हम शिक्षा के नित दीप जलाते जाएंगे।।
अक्षर-अक्षर जोड़ नयी परिभाषा एक बनाएंगे,
मन में स्थिरता लाकर अभिलाषा एक जगायेंगे।
अक्षर और वर्णों को बुन नित गीत बनाते जाएंगे,
शिक्षक हैं हम शिक्षा के नित दीप जलाते जाएंगे।।
कला, सभ्यता और संस्कृति पले-फले हर उपवन में,
हो संचार विज्ञान-योग का हर मन में हर एक तन में।
अज्ञान कुरीति भेदभाव अंधविश्वास भगाते जाएंगे,
शिक्षक हैं हम शिक्षा के नित दीप जलाते जाएंगे।।
बेटी सुरक्षा-नारी सुरक्षा की नित अलख जगायेंगे,
भ्रूण-हत्या शोषण हिंसा के विरुद्ध कदम उठाएंगे।
कलम बना हथियार हार को जीत बनाते जाएंगे,
शिक्षक हैं हम शिक्षा के नित दीप जलाते जायेंगे।।
नव भारत निर्माण करें हम जनमानस कल्याण करें हम,
शिक्षा का नित दान करें हम समग्र विश्व उत्थान करें हम।
देकर सेवा कर्म वचन की रीत निभाते जायेंगे,
शिक्षक हैं हम शिक्षा के नित दीप जलाते जाएंगे।।
– रविंद्र कुमार सिरोही ‘रवि’
ग्राम – जसाला, जिला शामली, उत्तर प्रदेश
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This Post Has 4 Comments
बहुत बढ़िया रविंद्र जी। आपकी कविता पढ़कर मज़ा आ गया।
रविंद्र कुमार सिरोही भैया ! शिक्षा के ऊपर बहुत ही सुंदर रचना l🙏🙏🙏🙏🙏
शिक्षक हैं हम शिक्षा के नित्य दीप जलाते जाएंगे 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏾
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