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जादू कलम का 

khamoshiyan
गज़ल
राहुल कुमार सिंह

ख़ामोशियां

~ ख़ामोशियां ~ जाने क्यों हर ज़ख़्म चुप था चुप रही ख़ामोशियां फिर भी तेरे दर्द-ए-ग़म को कह गई ख़ामोशियां जानता हूं हर ख़ुशी रूठी

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tu-bewafa-nahi-hoti
गज़ल
राहुल कुमार सिंह

तू बेवफ़ा नहीं होती

काश   ये   वारदात   नहीं   होती जान   तू   बेवफ़ा   नहीं   होती और था हर सितम कुबूल मगर मुझसे  बस  तू  जुदा नहीं होती मार   देता    तू  

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