

कोहनी पर टिके हुए लोग – नज्म
यह शेर आपने कई बार पढ़ा और सुना होगा, कुछ रोज पहले मुझे ये शेर फेसबुक पर पढ़ने को मिला, किसने लिखा मालूम नहीं पर
यह शेर आपने कई बार पढ़ा और सुना होगा, कुछ रोज पहले मुझे ये शेर फेसबुक पर पढ़ने को मिला, किसने लिखा मालूम नहीं पर
सह नही पाता जुदाई तुझसे खुद को भी खुद में रख नही पाता। भूल जाता हूँ अक्सर खुद का ही पता हुवा क्या हे मुझको
दिन भी मेरे रात से तन्हा हैउसमे भी तेरा साथ कहां है सुनाई देती है तेरी आवाज लेकिनदिल के अब वो हालात कहां है देखता
Likhobhart.Com
An Initiative By Kumar Harish
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