कल बन्द लिफाफे में
मुझे एक खत मिला
खत नि:शब्द था
इक कोरा कागज़
न लिखावट
न सजावट
स्याही के निशान तक नहीं
न कलम की कुछ बनावट
बस बिखरी हुई खुशबू
उसके हाथों की
जो सबूत देती है
खत उसी का था ।
खत कुछ नम था
शायद आंसुओ से भीगा था
बहुत कुछ कह गया
जबकि खत नि:शब्द था ।
खत ने कुछ मजबूरियाँ बताई
उसकी, मुझसे दूरियां बताई
खत बन्द लिफाफे में था
पर दिल खोल कर चला गया
खत नि:शब्द था फिर भी
बहुत कुछ बोल के चला गया ।
चित्तोड़गढ़, राजस्थान, भारत
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