राष्ट्रीय ध्वज अंगीकरण दिवस के अवसर पर प्रस्तुत है तिरंगे को समर्पित कविता
इस रज़ के कण-कण में बसता, अमर देश की शान तिरंगा।
वीर सपूतों के बलिदान का , अपना अमिट निशान तिरंगा ।।
हर जवान के जज्बातों में, बहता देशभक्ति का खूँन यहां ।
उस खूँन के हर एक बूँद में बसा, अपना ये महान तिरंगा ।।
हर सैनिक का स्वप्न यही है, हर एक बूँद लहू कुर्बान करें।
माँ भारती के आँचल में हम, सब सोएं तन पे तान तिरंगा ।।
है विजय पताका इस देश का, देखो ताकत की पहचान ।
लहर लहर लहराता झंडा, हम सबकी है जान तिरंगा ।।
सब सुखी रहें निरोग रहे, व सभ्य शिक्षित आबाद रहे ।
जग कल्याणी भारत माँ का, करता है बखान तिरंगा ।।
अपने देश की शान अनोखी, विश्व गुरु सरताज रहा ।
तीन रंग के भाव समेटे, देता सबको ज्ञान तिरंगा ।।
जहाँ केसरिया पहचान हमारी, वीरता और बलिदान की ।
वीरों की गाथा को गाता और बढ़ाता मान तिरंगा ।।
हरी भरी है धरती अपनी, चहुँओर हरियाली छाई है ।
हरे रंग से खुशहाली का, है अजब पहचान तिरंगा ।।
श्वेत रंग में अर्थ छिपा है विश्व शांति, व सद्भाव का ।
ईमानदारी सच्चाई स्वच्छता का है करता सम्मान तिरंगा ।।
आज वसुधा के विश्व पटल पे, है बढ़ा रहा अपना ये मान।
भारत के स्वर्णिम इतिहास का, है करता गुणगान तिरंगा।।
इस मिट्टी में ही जन्मे हैं, और इस मिट्टी में मिल जाना है।
भाव जगाता सब में ऐसा, करता सब का उत्थान तिरंगा।।
सबसे पहले वतन है आता, बाद में धर्म जाति व भाषा ।
देशभक्ति का पाठ पढ़ाता, बन के शिक्षक समान तिरंगा ।।
इस रज़ के कण-कण में बसता, अमर देश की शान तिरंगा।
वीर सपूतों के बलिदान का , अपना अमिट निशान तिरंगा ।।
राहुल कुमार सिंह
नवी मुंबई (महाराष्ट्र)
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This Post Has 6 Comments
राहुल जी आपने बहुत अच्छा लिखा है।
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