तुमको देखे बरसो हो गए
तुम कैसे इतने निष्ठुर हो गए ,
तुम बिन दिल पर क्या क्या बीती
कैसे तुम इतने संगदिल हो गये ,
एक हुए थे हम कई वादे करके
वादे सारे कैसे झूठे हो गए ,
पूछा तुम्हे जब चांद से मैंने
कहा चांद ने अब तुम रकीब के
चांद हो गए ,
पूजा तुम्हे था रब के जैसे
फिर कैसे तुम सबके जैसे हो गए ,
सोचा नहीं था मैंने तुम बिन दूजा
फिर तुम कैसे दूजे के हो गए ,
आती नहीं क्या अब याद हमारी
मेरी यादों में तुम घर क्यो कर गए ,
मिटते नहीं मुझसे ख्वाब तुम्हारे
फिर तुम कैसे किसी और के
ख्वाबों में सो गए ,
उतरते नहीं तुम हिज्र से मेरे
फिर हम कैसे तुम्हारी जिक्र से खो गए ,
बीती बातें मै भूलूं कैसे ,
बिछड़कर भी हम सिर्फ
तुम्हीं में रह गए…
– शिवम् शर्मा
रूरा, कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश
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लड़कियाँ सब समझ जाती है। – कविता
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This Post Has 3 Comments
बेहतरीन।
बहुत ही सुंदर सृजन
Yes