आज कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कारगिल युद्ध में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले वीर जवानों को समर्पित कविता
हे कारगिल के अमर जवानों,
तुम्हें नमन सौ बार,
कर कुर्बानी अपने लहू की,
किया हमपे उपकार,
हिमखंडी कारगिल को जीता
हमको दिया उपहार
हे कारगिल के अमर जवानों,
तुम्हें नमन सौ बार,
सिर पे अपने कफ़न बांधकर,
सरहद पर तैनात,
बर्फीले पर्वत पर देखो
लड़ते थे दिन रात
दुश्मन की गोली को झेला,
बही रक्त की धार ,
हे कारगिल के अमर जवानों,
तुम्हें नमन सौ बार,
टाइगर हील की ऊंची चोटी,
जिसपे चढ़ना असंभव था
उबल रहा था रक्त नसों में
फिर सबकुछ संभव था,
रक्त जमा, और बर्फ बने
पर तुमने किया प्रहार,
हे कारगिल के अमर जवानों,
तुम्हें नमन सौ बार,
हुआ प्रहार जब पाकिस्तान पर,
मचा वहाँ पर हाहाकार,
भारत की सीमा पर सैनिक
भरते रहे हुंकार,
मातृभूमि के खातिर देखो
मरने को तैयार,
हे कारगिल के अमर जवानों,
तुम्हें नमन सौ बार,
नाखुनो से खोदे पर्वत
पीठ पर था जब भार
मृत्य थी जब निकट तुम्हारे
जय हिन्द अंतिम बार
हुआ विजयी जब देश अपना,
सबने की जयकार,
हे कारगिल के अमर जवानों,
तुम्हें नमन सौ बार।
– नीरज श्रीवास्तव
मोतिहारी, बिहार, भारत
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अमर देश की शान तिरंगा – कविता
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This Post Has 2 Comments
बहुत खूब नीरज भाई जी ! मैं चाहता हूं आप वीर रस की तरफ और अग्रसर हों🙏🙏🙏🙏
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