काश ये वारदात नहीं होती
जान तू बेवफ़ा नहीं होती
और था हर सितम कुबूल मगर
मुझसे बस तू जुदा नहीं होती
मार देता तू मुझे जानेमन
ऐसे लेकिन ख़फ़ा नहीं होती
मैं भी जी लेता जिंदगी अपनी
तू अगर गैर की नहीं होती
ये अलग बात है किया न करम
कैसे कह दूँ खुदा नहीं होता
तुझको होता पता जो दर्दे दिल
दिल ये मेरा टूटा नहीं होता
जान न करती तू बेवफाई मुझसे
मैं सनम दिलजला नहीं होता।
राहुल कुमार सिंह
लेखक राहुल कुमार सिंह से फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें
सूनी सी डगर – कविता
तुम्हारे साथ होने का एहसास – कविता
यदि आप लिखने में रूचि रखते हैं तो अपनी मौलिक रचनाएँ हमें भेज सकते हैं,
आपकी रचनाओं को लिखो भारत देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
यदि आप पढ़ने में रूचि रखते हैं तो हमारी रचनाएँ सीधे ई-मेल पर प्राप्त करने के लिए निचे दिए गए ई-मेल सब्सक्रिप्शन बोक्स में ई-मेल पता लिखकर सबमिट करें, यह पूर्णतया नि:शुल्क है।
हम आशा करते हैं कि उपरोक्त रचना ~ तू बेवफ़ा नहीं होती ~आपको पसंद आई होगी,
अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट करके अवश्य बताएं। रचना अच्छी लगे तो शेयर भी करें।
This Post Has One Comment
Pingback: विश्व शांति दूत - रविंद्र कुमार सिरोही 'रवि' : कविता | लिखो भारत