सूनी सी डगर भी अचानक
खुशनुमा सी दिखती है
तेरे कोमल पैरों को जब
स्वयं स्पर्श वो करती है
चुभे तुझे एक काँटा भी
तो दर्द उसे भी होती है
आँखों से तेरे आसूं गिरे तो
आगोश में तुरन्त ले लेती है
शमा तड़पता परवाने को
यह हालत डगर की होती है
इन्तेजार हर दिन वो तभी तो
आने की तेरी करती है
प्रीत की बात वो क्या जाने
पर प्रीत तुझी से करती है
सूनी सी डगर भी अचानक
खुशनुमा सी दिखती है।
लेखक नीरज श्रीवास्तव से फेसबुक व इन्स्टाग्राम से जुड़ने के लिए क्लिक करें।
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