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कविता
कुमार हरीश

खत नि:शब्द था

कल बन्द लिफाफे में मुझे एक खत मिला खत नि:शब्द था इक कोरा कागज़ न लिखावट न सजावट स्याही के निशान तक नहीं न कलम

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अन्य
कुमार हरीश

धरा

आज का प्रभाती शब्द – धरा लिखिए कमेन्ट बॉक्स में इस शब्द पर अपनी पंक्तियां, मुक्तक या कुछ भी अपनी कलम से रचनात्मक … www.likhobharat.com

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गीत
कुमार हरीश

गुरु महिमा गीत

आज गुरु पूर्णिमा के पुण्य दिवस पर पढ़िए गुरु की महिमा का वर्णन करता ये गीत – गुरु महिमा गीत  गुरुजी के नाम से, सारे

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ek-din-ka-yog
लेख
कुमार हरीश

एक दिन का योग

सुबह सुबह जब दो तीन बार आवाज देने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो दूध वाले भैया ने आखिर घंटी बजा ही दी।

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veer-sawarkar
कविता
कुमार हरीश

वीर सावरकर – कविता

अपने आजीवन कारावास के दौरान जेल की दीवारों पर कील व कोयले से कविताएँ लिखने वाले महान क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर उनके

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कविता
कुमार हरीश

उसे पाने के लिए

उसे पाने के लिए मै खूब रोया न जाने कितनी रातेँ आँसू बहाकर सोया तकिया भीग गया पी – पीकर आँसुओं को पर उसका ख्वाब

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लेखक परिचय

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