

ताश के पन्नों सी जिंदगी
ताश के पन्नों सी जिंदगी रोज बनती है, बिगड़ती है संजोती है उन मृदु ख्वाबों को जिस पर खड़ा किया है तुमने अपने सपनों का
ताश के पन्नों सी जिंदगी रोज बनती है, बिगड़ती है संजोती है उन मृदु ख्वाबों को जिस पर खड़ा किया है तुमने अपने सपनों का
जिंदगी एक खुली किताब है जिसके हर एक पन्ने का अपना एक अलग ही हिसाब है। कभी अक्षर अक्षर जुड़कर बनती है जिंदगी तो कभी
ओस की बूंद जब गिरती है इस जमीन पर भूल जाती है अपने अस्तित्व को क्यों गिरी! किधर से गिरी पता नहीं उसे अपनी
कुछ पुस्तकें वास्तविकता में दलित नारी और उन पर हुए अत्याचारों, क्रूरता और हिंसात्मक प्रवृत्ति को उजागर करती है। इन्हीं में से एक पुस्तक “दलित
माना कि मैं कविता तो नहीं हूँ फिर भी मन के भावों में उतरना चाहती हूँ। शब्दों की इस अथाह रूप को अब परिष्कृत आकार
“लिखो भारत” की सभी पोस्ट सीधे ई-मेल पर प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता यहाँ लिखें।
पूर्णतया निशुल्क है।
यदि आप लेखक या कवि हैं तो अपने विचारों को साहित्य की किसी भी विधा में शब्द दें।
लिखिए और अपनी रचनाएं हमें भेजिए।
आपकी रचनाओं को लिखो भारत देगा नया मुकाम, रचना भेजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Likhobhart.Com
An Initiative By Kumar Harish
“सर्वाधिकार सुरक्षित” इस वेबसाइट पर प्रकाशित रचनाओं का कोई भी हिस्सा किसी भी रूप में या किसी भी माध्यम, जिसमें सूचना संग्रहण और सूचना संसाधन की विधियाँ सम्मिलित हैं, प्रकाशक, संपादक या लेखक की लिखित पूर्वानुमति के बिना उपयोग या पुनरुत्पादित नहीं किया जा सकता। प्रकाशित रचनाओं का कॉपीराइट प्रकाशक, संपादक या लेखक के पास सुरक्षित है। अतः कंटेंट चोरी का प्रयास नहीं करें। ऐसा कृत्य भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 57 व 63 के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है। अतः कॉपी नहीं शेयर करें !!