kaal-kothari
कविता
राजेश 'भारती'

काल कोठरी

राजनैतिक व्यवस्था पर व्यंगात्मक कविता – काल कोठरी तानाशाही को तानाशाही न कहें तो और क्या कहें आपने विकास तो किया मगर सिर्फ अपनी कुर्सी

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