

हिंदी दिवस पर कविता
~ हिंदी दिवस पर कविता ~ हिंदी से संस्कृति हमारी हिंदी से है आन, हिंदी से ही विश्व में देखो है अपनी पहचान। है दुर्भाग्य
~ हिंदी दिवस पर कविता ~ हिंदी से संस्कृति हमारी हिंदी से है आन, हिंदी से ही विश्व में देखो है अपनी पहचान। है दुर्भाग्य
आजा कन्हैया फिर से ले अवतार मिटे पाप का परचम,सृष्टि के उत्थान हेतु आया तू हरदम।आजा फिर से आजा ओ सृष्टि के रचैय्या,आ रे कन्हैया
शिक्षक हैं हम शिक्षा के निज दीप जलाते जाएंगे। फैलाकर प्रकाश ज्ञान का तिमिर मिटाते जाएंगे।। देश के हर एक कोने में शिक्षा के
विश्व शांति दूत बनकर हम, जनमानस का कल्याण करें। सत्य अहिंसा और समर्पण का, जन-जन से आह्वान करें ।। मानवता और मानव मूल्यों को, अपने
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