

दानवीर कर्ण
प्रारम्भ से ही प्रारब्ध का इतिहास मुझको ज्ञात था महाभारत के उस युद्ध में, मैं हर जगह व्याप्त था माँ कुंती ने जिसको ठुकराया था,
प्रारम्भ से ही प्रारब्ध का इतिहास मुझको ज्ञात था महाभारत के उस युद्ध में, मैं हर जगह व्याप्त था माँ कुंती ने जिसको ठुकराया था,
आत्मनिर्भर भारत विषय पर एक बेहतरीन कविता ————————————————————– अधर्म, अनीति और अन्याय पर शास्वत संस्कृति का यह प्रहार है संसार को दिव्य ज्ञान जो दे,
क्या लिखूं अब आज मै, कलम भी अब ये सोच रही है भूखे भेड़ियों की हैवानियत, परियों के जिस्म को नोच रही है हर दूसरे
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