” कोरोना काल में हमारी भूमिका ”
दिनांक 21 मई 2021 – सम्पादकीय – कुमार हरीश
प्यारे पाठकों,
इस कोरोना महामारी ने हमें भीतर तक हिला दिया है। आज हम एक कठिन दौर से गुज़र रहे हैं। हमारे कई परिचित परिवारों में परेशानी चल रही है। हमारा कोई न कोई रिश्तेदार या परिचित इस बीमारी से ग्रसित हुवा है, कुछ ने तो अपने प्रियजनों को खोया भी है। कोरोना की पहली लहर मै हमसे जो गलतियाँ हुई, स्वाभाविक थी, क्योंकि हमारे पास न अनुभव था न इलाज किन्तु आज दूसरी लहर ने जो जो हालात पैदा किये हैं इनमे कहीं न कहीं गलती हमारी ही है। अस्पतालों में समय पर ऑक्सीजन व बेड उपलब्ध नहीं होने का ठिकरा भले ही हमने सरकार के सिर पर फोड़ दिया हो लेकिन हमारा भीतर जानता है कि लापरवाही हमने ही की है। अब सरकार को दोष देने की बजाय यदि हम सतर्क रहें और खुद का बचाव करने के लिए जरुरी सभी नियमों का सख्ती से पालन करें तो हम इस कोरोना महामारी से खुद को और खुद के परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं।
मेरा आप सभी से सविनय निवेदन है कि कोरोना महामारी के इस दौर में हम इंसानियत को ख़त्म न होने दे । हमें सामाजिक दुरी रखने को कहा गया है, मानसिक दुरी के लिए नहीं। हाथ मिलाने के लिए मना किया है, हाथ बढ़ाने के लिए नहीं। चाहे दूर बैठे ही सही जहाँ तक संभव हो सके हम एक दूसरे का हालचाल पूछते रहें, एक दूसरे का सहयोग करते रहें। अपनी तक़लीफ़ और आवश्कता बेझिझक एक दूसरे से साझा करें। अकेले मायूस होकर बैठने से समस्या और अधिक बढ़ेगी।
आज हर तरफ निराशा व्याप्त है, हर चेहरे पर भय और तनाव झलक रहा है। समाज का निम्न वर्ग तो इतना टूट चुका है कि फिर से खड़े होने की हिम्मत भी खो बैठा है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो घोर असमंजस की स्थिति में जी रहे हैं। सबके सामने एक ही सवाल है कि कल क्या होगा?क्या होगा हमारे व्यापार, नौकरी, बच्चों की पढाई, घर खर्च और लोन की किश्त का ? ये सवाल हर किसी के मस्तिष्क पर हथोड़ा मार रहा है, ये सब जायज मुद्दे हैं किन्तु अभी इन सब पर भारी सिर्फ एक मुद्दा है वो है ये कोरोना।
दोस्तों, आप और हम जानते है, इस वक़्त न पैसा काम आ रहा है ना पहुँच काम आ रही है, जिस पर गुज़र रही है वही जानता है। हम किसी से हाथ नहीं मिला सकते तो क्या हुवा, हाथ जोड़ कर ईश्वर से प्रार्थना तो कर ही सकते हैं कि ईश्वर सब जल्दी ठीक कर दे। जहाँ तक संभव हो सके, कोशिश करें एक दूसरे की मदद करने की। इंसानियत अपने दिल में क़ायम रखें और एक दूसरे का सहयोग करते रहें। स्वयं भी सुरक्षित रहें और दूसरों को भी सुरक्षित रहने के लिए प्रेरित करें।
परमपिता परमात्मा से यही कामना है कि आप सब स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें, सकुशल रहें। अपने घर में रहे। घर से बाहर अति-आवश्यक कार्य होने पर ही निकलें। निकलना भी हो तो मास्क लगाएँ, साबुन से बार-बार हाथ धोते रहें, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
जो इस महामारी की चपेट में आए हैं, और होम क्वारनटाइन हैं, बिलकुल न घबराएँ, चिकित्सक द्वारा सुझाई गयी दवाएं लेते रहे और खुद को अकेला बिलकुल महसूस न करें, परिवार वाले आपके कमरे में नहीं आ पा रहे है लेकिन वो आपके साथ है, परिवारजनों से बातें करते रहें, मन में अच्छे विचार लायें, अच्छी प्रेरणादायक कहानियां व किताबें पढ़े और मनोबल को गिरने न दे। जो अस्पताल में भर्ती है ईश्वर उन्हें जल्द स्वस्थ करें और जो प्रभु चरणों में लीन हो गए, परमात्मा उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान देवें। उनके परिवार को संबल देवें।
फिर से यही कहूँगा कि इंसानियत के नाते एक दूसरे के काम आते रहें, मदद करते रहें, सहयोग करते रहें और कुछ नहीं तो फ़ोन करके हाल चाल पूछते रहें । सामाजिक दुरी रखे लेकिन मानसिक दुरी बिल्कुल न रखें। कोरोनाकाल में समाज के प्रति हमारी यह प्राथमिक भूमिका है। वक्त की एक अच्छी कहो या बुरी, आदत है कि गुजर जाता है, ये वक़्त भी गुज़र जाएगा। फ़िलहाल हमें दवा से ज़्यादा हौसले की ज़रूरत है। किसी भी परिस्थिति में मनोबल ना गिरने दें।
हौसले भी किसी दवा और हक़ीम से कम नहीं होते। हर तक़लीफ़ में ताकत की दवा देते हैं।
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आपका
कुमार हरीश
संस्थापक व संपादक
लिखो भारत डॉट कॉम