“वीर सावरकर”
अपने आजीवन कारावास के दौरान जेल की दीवारों पर कील व कोयले से कविताएँ लिखने वाले महान क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर उनके व्यक्तित्व का बखान करती यह कविता वीर सावरकर…
यदि मुश्किल है पीड़ा सहना
असंभव है सावरकर बनना
बरसों तक काल कोठरी में
आसान नहीं तप में तपना
यातनाएं सही जो आजीवन
जीवन भर याद रखेगा भारत
तुमको याद करेगा भारत ।।
जो अन्यायी से लड़े
राष्ट्रवाद के साथ खड़े
चेहरे पर जिनके तेज
आज़ादी के मकसद बड़े
उन सावरकर के लिए आज
खुली आँख बहेगा भारत
तुमको याद करेगा भारत ।।
जो कोल्हू में जुते
कालापानी को सहे
कोयले से दीवारों पर
कविताएँ जो लिखे
उन जली हुई कविताओं को
फिर से आज पढ़ेगा भारत ।।
तुमको याद करेगा भारत ।।
स्वाभिमान थी जिनकी शक्ति
मांग रही जंजीरें मुक्ति
भारत आजाद कराने की
थी जिनमे सुसंगत युक्ति
ऐसे देशभक्त सावरकर
तुमको नमन करेगा भारत
तुमको याद करेगा भारत ।।
कालापानी की सजा पाकर
जो सावरकर इतिहासी है
जिसने समझा भारत माता
आजाद हवा की प्यासी है
ऐसे राष्ट्रवादी वीरों को
भूल नहीं पाएगा भारत
तुमको याद करेगा भारत ।।
तुमको याद करेगा भारत ।।
कुमार हरीश
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सुंदर कविता
स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी शत् शत् नमन
bahut bahut aabhar aapka