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ताजमहल पर कविता

~ ताजमहल पर कविता ~

प्रेम का प्रतीक , जो एक मिसाल की तरह
सफ़ेद रंग आकर्षित करता है प्रेम की तरह
अद्भुत सृजन है आगरे का महल के रूप में
एक रचनाकार की किसी इबादत की तरह ।।

कोई और नही “ताजमहल ” है नाम उसका
है विश्व विख्यात इमारत अपनी प्रसिद्धि से,
जिसने खूबसूरती से अपनी पहचान बनाई
जिसकी सूरत मुहब्बत भरे हर दिल में समाई  ।।

कल्पनाओं में नहीं वास्तविकता है ताजमहल
किसी अप्सरा की खूबसूरत सौंदर्य की तरह
एक मरहूम रानी की खूबसूरत सी याद है जो
अब पूजा जा रहा है प्रेम के प्रतीक की तरह  ।।

कहते हैं सात अजूबों में एक अजूबा बन गया
हां ताजमहल शाहजहां की महबूबा बन गया!
कितने ही कारीगरों ने बड़ी शिद्दत से अंजाम दिया
प्यार के इस प्रतीक को ताजमहल का नाम दिया ।।

इसकी सुंदरता का बखान हम क्या करें गालिब
बनाने वाले हर शख्स कारीगर का क्या नाम करें
बनाकर इसको अपने हाथ जिन्होंने भी गवाएँ है
इतिहास ने ऐसे कारीगरों के नाम दर्ज कराएँ हैं।।

इमारतों में एक इमारत है ताजमहल ऐसी,
जिसको तराशा गया है बड़ी ही मोहब्बत से
जिसके बनने के इंतजार में कई घड़ियां बिताई है
यह वह प्यार का मंजर है जो दिलों की रुबाई है।।

– प्रतिभा दुबे ‘स्वतंत्र लेखिका’

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

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