~ शहीद राजगुरु पर कविता ~
अमर शहीद राजगुरु जी की जन्म जयंती पर उन्हें नमन करती हुई कविता
वो बावला अलबेला मस्तमौला
चन्द्र शेखर आजाद का चेला,
‘ राजगुरु ‘ जोशीला था…
थी मौत मजाक मात्र जिसके खातिर
ऐसा वो मस्त मौजीला था,
थे वीर शिवा जी आराध्य उसके,
उनसे ही निर्डरता का पाठ सीखा था…
मौत की आंखो में आंखे डाल
काल को भयभीत कर देना,
हो कार्य दुर्गम जो सभी के लिए
उसमे जीत हासिल कर लेना,
ऐसा शौक उसका निराला था,
वो अद्भुत अदम्य साहसी
आजादी का मतवाला था…
आजादी की दुल्हन पाने का
वो इतना मचला था,
बाईस वर्ष की उम्र मात्र में
तिरंगा पटका डाल तन पर
वो मौत की सातो भावर घूमा था…
सुहागन के मंगलसूत्र सी ही
उसे सूली भी श्रंगार सी दिखती थीं,
शहादत के अंतिम पल तक उसने
जिंदगी एक त्यौहार सी ही जी थी…
इन्कलाब की मस्ती उसके
रग रग में बहती थी,
वो लाडला भारत माता का
उतावला ऐसा ,
जिसको दुलराने खुद धरती मां
भी गोद फैलाकर बैठीं थी…
था धन्य वीर वो नमन उसको
और उसकी कुर्बानी को,
अनवरत कौटिक अभिनन्दन होंगे
उसकी अतुलित पुण्य जवानी को,
इतिहास के स्वर्णिम पन्ने
जिंदा रखेंगे हरदम हर दिल में
राजगुरु से बलिदानी को…
– पं. शिवम् शर्मा
रूरा, कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश
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This Post Has One Comment
बहुत सुंदर सृजन