“शब्द”
शब्द कराये शांति शब्द कराये युद्ध
शब्द बढ़ाये हिंसा को शब्द बनाये बुद्ध
शब्द कराये साधना शब्द बढ़ाये मेल
शब्द बने जो गाली तो हो रक्त का खेल
शब्द बने हो मंत्र तो प्रसन्न हो फिर शिव
गंगा आये धरती पर सुखमय हो फिर जीव
शब्द बने तो मंत्र तो जग का फिर कल्याण हो
मंत्र से फिर ग्रंथ बने और मानस जीव का प्राण हो
शब्द से ही विनाश हे शब्द से हो निर्माण
शब्द कराये युद्ध बड़े और शब्द खिचाये बाण
शब्द से बने मंत्र से ईश्वर का वर प्राप्त हो
शब्द बने सिद्धांत तो समस्या फिर समाप्त हो
रूपचंद सोनी, झालावाड़ (राज.)
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