~ रक्षाबंधन विशेष कविता ~
रिश्तों में देखा एक रिश्ता, भाई बहन के प्यार का
बहना के रक्षा के खातिर, भाई के बलिदान का
श्रावण माह की पूर्णिमा, है ऐसा दिन त्यौहार का
रक्षा सूत्र के डोर में बंधता, स्नेह बहन के नाम का।
भाई के माथे पे टीका, कुमकुम चन्दन प्यार का
बांधे कलाई पे धागा, बहना भाई कल्याण का
भैया भी लेता सौगन्ध, बहना के हर मान का
दे कुर्बानी लहू का अपने, करेगा रक्षा सम्मान का।
बहन भाई के रिश्तों का, उदाहरण एक इतिहास का
जब रानी कर्मावती को, पता चला एक बात का
बहादुरशाह करेगा हमला, होगा विनाश मेवाड़ का
रानी ने तब झट से भेजा, हुमायूं को राखी पैगाम का
मदद याचना करके उसने, वचन लिया था भाई का
राखी की वह लाज रखे, रक्षा करे मेवाड़ का
हुमायूं ने लाज रखा, युद्ध किया घमासान सा
बहना को जीत दिलाकर, रचा इतिहास सम्मान का
सिकन्दर की पत्नी ने भी, पुरु को भाई बनाया था
बहना के खातिर पुरु ने, सिकंदर प्राण लौटाया था
कृष्ण के कटी उँगली पर, द्रौपती ने पट्टी बांधा था
कृष्ण ने भी सूत सूत का, द्रौपती कर्ज उतारा था
रिश्तों में है पवित्र यह रिश्ता, बहन भाई के प्यार का
बहन के खातिर जो लड़ जाये, चिन्ता न हो प्राण का
बहना भी स्नेह प्रेम से, रक्षा करती भाई का
भगवान करे युग युग में हो, परम्परा इस त्यौहार का
– नीरज श्रीवास्तव
मोतिहारी, बिहार, भारत
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This Post Has 2 Comments
बहुत ही सुंदर नीरज भैया 🙏🙏🙏 आप ऐसे ही अपने लेखन के कार्य में लगे रहे हमारी यही कामना है 🙏🙏
राहुल जी बहुत बहुत धन्यवाद।