हर युग में है विद्यमान
भूतकाल हो या वर्तमान
नारी उत्पीड़न समस्या का
राक्षस है बहुत हैवान
बहुत फैलाये घर घर ज्ञान
चलाये कितने ही अभियान
लाख जतन करके भी देखें
पर हो न सका है कोई समाधान
साक्ष्य हमारे ग्रन्थ हैं कहते
उपेक्षित क्यों नारी ही रहते
अग्नि परीक्षा ले सीता की
क्यों छोड़ उसे हम वन में देते
क्यों यज्ञ सैनी पांचाली को
भरी सभा में निर्वस्त्र हैं करते
पाप किया था इन्द्र ने फिर भी
अहिल्या को क्यों श्राप है देते
नारी उत्पीड़न
कभी भ्रूण की हत्या फिर से
क्यों कभी बलात्कार हैं करते
दहेज प्रथा के नाम रोजाना
क्यों स्त्रियों का कत्ले आम हैं करते
अँधेरी सड़कों पर क्यों
यह पुरुष रूपी भेड़िया घूमते
क्या नहीं पता हिंद संस्कृति में
स्त्री को हम माँ है कहते
देख दुर्दशा यह स्त्री मन की
क्यों न हमारे अश्रु बहते
जिस बहन ने राखी बाँधी
क्यों ना उसकी सुरक्षा करते
बहुत हुआ अब सहते सहते
नारी उत्पीड़न खत्म है करते
नारी समाज की रक्षा खातिर
चलो अभी संकल्प हैं करते।
– नीरज श्रीवास्तव
मोतिहारी, बिहार
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This Post Has 3 Comments
Bahut Sundar rachna 👌👌💐🔥
पूनम जी,
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार।
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