~ मित्रता दिवस पर कविता ~
बचपन की यादें मेरे संग
रोज़ ठिठोली है कर जाती
कभी बचपन की प्यारी बातें
कभी मित्रों की याद दिलाती
कभी-कभी तो मित्र दिवस पर
मुझसे यह भी कहकर जाती
सुख दुःख भरे इस जीवन में
मित्रता कैसे धर्म निभाती
रिश्ते देखें बहुत से मैंने
पर मित्रता सा ना रिश्ता देखा
जात पात के रंगों का
फर्क ना पड़ते इनपे देखा
महाभारत के पन्नों में भी
अंकित उदाहरण मैंने देखा
दुर्योधन ने भरी सभा में
एक सूत को कहा सखा
भर आँखों में नीर कृष्ण ने
सुदामा चरण हाथों से धोए
अर्जुन के सारथी बन केशव ने
मित्रता के बीज बोए
पांचाली के चीर हरण की
सखा कृष्ण ने लाज बचाई
रामायण में राम थे मानस
मित्र सुग्रीव थे वानर भाई
सच्ची मित्रता कर्ण दुर्योधन
कृष्ण सुदामा ने ही निभाई
आप सभी को मित्र दिवस की
बहुत बधाई – बहुत बधाई
– नीरज श्रीवास्तव
मोतिहारी, बिहार, भारत
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