mitrata-divas-hindi-kavita

मित्रता दिवस हिंदी कविता

~ मित्रता दिवस हिंदी कविता ~

है सच्चा मित्र भूलना नामुमकिन
वो नित आंँखों में दिख जाता है।
हो दिल का मालगुजार भले वो
पर दोस्त खातिर बिक जाता है।

काम क्रोध मद और लोभ, हैं शत्रु ये चार l
ज्ञान बुद्धि व विवेक, हैं मानवता के यार l

है मित्रता की परिभाषा, जो कभी न छोड़े साथ l
सुख- दुख हो या महाप्रलय, कभी न छोड़े हांँथ ।

मित्र प्रेम है ममता समान, दे गलती पे फटकार।
दुःख की पीड़ा को हरता, और है करता सत्कार ।

बैर भाव से वह दूर रहे, व मन में हो विश्वास ।
अंधियारे में आशा की, ज्योत जलाता खास।

प्रेम के धागों से बंधा, हर रिश्ते में बसता है।
हम रोते उत्साह बढ़ाता, हंँसने पर हंँसता है।

पहली मित्र है मांँ होती, जो हमको जग में लाती।
कदम कदम पे साथ निभाए, है चलना सिखलाती।



जब चौसर के खेल में पांडव, धन वैभव सब हारे।
कुंती ने भी वन गमन किया, संग वधु पुत्र थे सारे।


दूजे सखा हैं गुरु हमारे, जो ज्ञान प्रभा फैलाते।
अज्ञानता की घोर निशा हर, मार्ग सही दिखलाते।

गुरू विश्वामित्र के संग रहे, किए प्राप्त हर ज्ञान।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम या है कहलाते भगवान।

सबसे अच्छे पितु हमारे, अथक परिश्रम हैं करते।
जिनके मेहनत के बल बूते, पेट हमारे हैं पलते ।

खुशी त्याग मेहनत अग्नि, में हैं जलते वो रोज।
खून पसीने की खेती से, हम फलते फूलते रोज ।

भाई बहन सब प्रेम के, है वो सच्चे मीत।
ईर्ष्या भाव से दूर रहें, प्यार के गाते गीत।


लक्ष्मण अनुज श्री राम के, थे एक मित्र समान।
भाई धर्म की लाज रखी, वन संग किया प्रस्थान।


पत्नी भी है मित्र समान, जो दिल से दिल मिल जाए।
जीवन पथ पे खुशियों के, सहस्त्र कुसुम खिल जाए।

कृष्ण स्वयं थे एक राजा, और विष्णु अवतार।
मित्र सुदामा थे पंडित, पर गरीबी से लाचार।

दरिद्र सुदामा के हरे, थे सारे दुःख अवसाद।
धन धान्य से पूर्ण किया, फैलाया आह्लाद।

सखा केशव सा आज नहीं, मनाते सुदामा शोक।
छल कपट से भरी मित्रता, और द्वेष भरा है लोक ।

आज सुदामा की खातिर, कृष्ण नहीं हैं आते।
दिखावे में अब गई दोस्ती, हैं नीचा दिखलाते।

कर्ण दुर्योधन के खातिर, भाइयों से थे बैर किए।
मित्र धर्म निभाने खातिर, उन्होंने अपने प्राण दिए।

सखा कर्ण सा आज नहीं, जो रखे मित्र की लाज़।
जैसी ईच्छा हो मित्र की, करें ठीक वैसा हीं काज।

कुदरत से तू बैर न कर ,सुन ले मानव नादान।
है जीवन का सार छिपा, और ईश्वर का वरदान।

कुदरत सच्ची मित्र हमारी,अपने सारे फ़र्ज़ निभाती।
देती हमको सब कुछ व, मानवता का पथ दिखलाती

राहुल कुमार सिंह 

नवी मुंबई (महाराष्ट्र)

लेखक से फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें।


हमें विश्वास है कि हमारे लेखक स्वरचित रचनाएं ही यहाँ प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित लेखक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है और इसका सर्वाधिकार इनके पास सुरक्षित है।

अन्य रचनाएँ यहाँ पढ़े

दानवीर कर्ण – कविता 

दोस्ती पर कविता

महाभारत पर आधारित द्विपार्थ उवाच व केशव उवाच

यदि आप लिखने में रूचि रखते हैं तो अपनी मौलिक रचनाएँ हमें भेज सकते हैं,

आपकी रचनाओं को लिखो भारत देगा नया मुक़ाम,  रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें

यदि आप पढ़ने में रूचि रखते हैं तो हमारी रचनाएँ सीधे ई-मेल पर प्राप्त करने के लिए निचे दिए गए ई-मेल सब्सक्रिप्शन बोक्स में ई-मेल पता लिखकर सबमिट करें, यह पूर्णतया नि:शुल्क है।

हम आशा करते हैं कि उपरोक्त रचना ~ मित्रता दिवस हिंदी कविता ~ आपको पसंद आई होगी, अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट करके अवश्य बताएं। रचना अच्छी लगे तो शेयर भी करें।

शेयर करें :-

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on facebook

This Post Has One Comment

  1. Niraj Srivastava

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति राहुल जी।

आपकी प्रतिक्रिया दीजियें

लेखक परिचय

नयी रचनाएँ

फेसबुक पेज

ई-मेल सब्सक्रिप्शन

“लिखो भारत” की सभी पोस्ट सीधे ई-मेल पर प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता यहाँ लिखें।
पूर्णतया निशुल्क है।

रचना भेजिए

यदि आप लेखक या कवि हैं तो अपने विचारों को साहित्य की किसी भी विधा में शब्द दें।
लिखिए और अपनी रचनाएं हमें भेजिए।

आपकी रचनाओं को लिखो भारत देगा नया मुकाम, रचना भेजने के लिए यहाँ क्लिक करें।