क्या लिखूं अब आज मै, कलम भी अब ये सोच रही है
भूखे भेड़ियों की हैवानियत, परियों के जिस्म को नोच रही है
हर दूसरे इंसान के चेहरे के पीछे, है चेहरा शैतान का
है यही सच जान लो, अपने हिंदुस्तान का
आये विवेकानंद इस धरा पर, ले अध्यात्म की अभिलाषा को
आये थे कलाम इसी धरा पर, बदलने विज्ञान की परिभाषा को
कभी गूंजती थी आवाज़ इस धरा, पर शहनाई बिस्मिल्लाह की
पर आज हैवानियत के इस मंज़र को देख, शर्मिंदा है अल्लाह भी
पूजा जाता है जिस देश मे, नारी को देवी मानकर
तुम नोच देते हो उसके जिस्म को, खिलौना जानकर
होती अगर आज लक्ष्मीबाई, तो रणचंडी बन जाती
तुम पापियों के सिर को तलवारो से काट लाती
बेटियों पर हो रहे अत्याचारों पर कटाक्ष करती यह कविता
जिस धरा पर ना जाने कितने, वेद और पुराण रचे गए
उसी धरा पर हो खड़ा, तू सोच ? हम कहां थे और अब कहाँ आ गए !
भगत सिंह, बिस्मिल, असफाकउल्लाह, तेरे बलिदानो का अब मोल नहीं है
इस नपुंसक भीड़ की आवाज़ तो है, पर उस आवाज़ मे कोई बोल नहीं है
अक्सर सुनाई देती थी जिस देश में, गौरव-गाथा बलिदान की
चंद्रशेखर के अभिमान की और सुभाष के स्वाभिमान की
आज उस देश की अस्मिता पर ना जाने कितने सवाल खड़े हुए है
अब भी कुछ दुर्दांत भेड़िये बेटियों की इज़्ज़त पर हाथ डालकर अड़े हुए है
अरे काटो हाथ, लटकाओ फांसी, या बेटी तुम खुद ही युद्ध करो
बनकर भवानी दुर्गा तुम, इन महिसासुर के रक्त से इस पावन धरा को शुद्ध करो… !
लेखक से फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें
su_quote]– हमें विश्वास है कि हमारे लेखक स्वरचित रचनाएं ही यहाँ प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित लेखक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है और इसका सर्वाधिकार इनके पास सुरक्षित है। [/su_quote]
जिंदगी का सफर – गीत
बूढ़ी हड्डीयां – कविता
तुमने प्यार की गर रस्म निभाई होती – गज़ल
यदि आप लिखने में रूचि रखते हैं तो अपनी मौलिक रचनाएँ हमें भेज सकते हैं,
आपकी रचनाओं को लिखो भारत देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
यदि आप पढ़ने में रूचि रखते हैं तो हमारी रचनाएँ सीधे ई-मेल पर प्राप्त करने के लिए निचे दिए गए ई-मेल सब्सक्रिप्शन बोक्स में ई-मेल पता लिखकर सबमिट करें, यह पूर्णतया नि:शुल्क है।
हम आशा करते हैं कि बेटियों पर हो रहे अत्याचारों पर कटाक्ष करती यह कविता उपरोक्त रचना ‘क्या लिखूं अब आज मै’ आपको पसंद आई होगी, अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट करके अवश्य बताएं। रचना अच्छी लगे तो शेयर भी करें।
This Post Has 4 Comments
समाज में नारी दुर्दशा की बड़ी ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति। आदित्य जी आपने सही कहा सामाज कि हर महिला को आज दुर्गा और चंडी बनकर ऐसे राक्षसों का सामना करना चाहिए।
नारी के सम्मान के लिए लेखक को सदैव लिखना चाहिए
अद्भुत रचना आदित्य भाई आपने सच्चाई को काब्य रूप में सामने लाया। अभिनंदन 🙏
आभार आपका … सच्चाई तो यही है आज के समाज की