kuch-karke-jana-hai

कुछ करके जाना है

कुछ करके जाना है
जीवन मिला तो कुछ करके जाना है।
हर शख्स को अपना बनाना है
इस शहर से विदा हुए तो,
दूसरी बस्ती में मजमा लगाना है
जीवन मिला तो ‘कुछ करके जाना है।’

तोड़ कर जंजीर अभिमान की
सबको एक साथ लाना है
छल और कपट की दीवार गिराना है
जीवन मिला तो कुछ करके जाना है”।

देख कर पीर पराई, आँख भर आई ,
दुखियों के दुःख मिटाना है
सभी को गले लगाना है
रोते को हंसाना है मदद करे सबकी,
पतित को पावन बनाना है
जन मन तक पहुंचाना है
सभी में आत्मविश्वास जगाना है
जीवन मिला तो ‘कुछ करके जाना है’।

सभी को प्रेम, करूणा का पाठ पढ़ाना है
त्याग, समर्पण की भावना जगाना है
जीवन मिला है तो कुछ करके जाना है।

पवन कुमार शर्मा – कवि कौटिल्य

लेखक से फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें।

हमें विश्वास है कि हमारे लेखक स्वरचित रचनाएं ही यहाँ प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित लेखक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है और इसका सर्वाधिकार इनके पास सुरक्षित है।

अन्य रचनाएँ यहाँ पढ़े

भारत पर कविता

विश्व शांति दूत – कविता

सूनी सी डगर – कविता

यदि आप लिखने में रूचि रखते हैं तो अपनी मौलिक रचनाएँ हमें भेज सकते हैं,
आपकी रचनाओं को लिखो भारत देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें

हम आशा करते हैं कि उपरोक्त रचना आपको पसंद आई होगी, अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट करके अवश्य बताएं। रचना अच्छी लगे तो शेयर भी करें।

शेयर करें :-

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on facebook

लेखक परिचय

नयी रचनाएँ

फेसबुक पेज

ई-मेल सब्सक्रिप्शन

“लिखो भारत” की सभी पोस्ट सीधे ई-मेल पर प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता यहाँ लिखें।
पूर्णतया निशुल्क है।

रचना भेजिए

यदि आप लेखक या कवि हैं तो अपने विचारों को साहित्य की किसी भी विधा में शब्द दें।
लिखिए और अपनी रचनाएं हमें भेजिए।

आपकी रचनाओं को लिखो भारत देगा नया मुकाम, रचना भेजने के लिए यहाँ क्लिक करें।