कुछ करके जाना है
जीवन मिला तो कुछ करके जाना है।
हर शख्स को अपना बनाना है
इस शहर से विदा हुए तो,
दूसरी बस्ती में मजमा लगाना है
जीवन मिला तो ‘कुछ करके जाना है।’
तोड़ कर जंजीर अभिमान की
सबको एक साथ लाना है
छल और कपट की दीवार गिराना है
जीवन मिला तो कुछ करके जाना है”।
देख कर पीर पराई, आँख भर आई ,
दुखियों के दुःख मिटाना है
सभी को गले लगाना है
रोते को हंसाना है मदद करे सबकी,
पतित को पावन बनाना है
जन मन तक पहुंचाना है
सभी में आत्मविश्वास जगाना है
जीवन मिला तो ‘कुछ करके जाना है’।
सभी को प्रेम, करूणा का पाठ पढ़ाना है
त्याग, समर्पण की भावना जगाना है
जीवन मिला है तो कुछ करके जाना है।
पवन कुमार शर्मा – कवि कौटिल्य
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विश्व शांति दूत – कविता
सूनी सी डगर – कविता
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This Post Has 6 Comments
Nice
जरूर। कुछ कर के जाना है।
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