kohani par tike

कोहनी पर टिके हुए लोग – नज्म


कोहनी पर टिके हुए लोग,
टुकड़ो पर बिके हुए लोग।
करते हैं बरगद की बातें;
ये गमले में उगे हुए लोग!!

अज्ञात

यह शेर आपने कई बार पढ़ा और सुना होगा,  कुछ रोज पहले मुझे ये शेर फेसबुक पर पढ़ने को मिला, किसने लिखा मालूम नहीं पर जिसने में भी लिखा बहुत उम्दा और गहरा शेर लिखा, इस शेर की पूरी नज्म और इसे लिखने वाले शायर का नाम जानने के लिए मैने इन्टरनेट पर घंटों मशक्कत की लेकिन नाकामयाब रहा। बहरहाल इन्टरनेट पर ये शेर तो बहुत है पर ऐसी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है जो बता सके की ये शेर लिखा किसने है ! यदि आपको इसके शायर का नाम पता चले तो हमें जरुर बताएं ताकि उनके नाम से  इसे यहाँ रौशनी दी जा सकें और इतना उम्दा शेर लिखने के लिए उन्हें शुक्रिया अदा किया जा सकें।

इस शेर की सच्चाई और गहराई को देखकर मेरे ज़ेहन में ख़याल आया की क्यों ना इसे मतला शेर मानकर, इस पर कुछ और नये शेर लिखकर पूरी नज्म तैयार की जाए। मै इसे पूरी नज्म बनाने में कामयाब रहा या नही ये आप इसे पढ़ने के बाद जरुर बताइयेगा।

फ़िलहाल पेश है आपकी खिदमत में, इस मतले पर पूरी नज्म…

कोहनी पर टिके हुए लोग,
टुकड़ो पर बिके हुए लोग।
करते हैं बरगद की बातें;
ये गमले में उगे हुए लोग!!

(2)

अँधेरे से डरे हुए लोग,
खौफ से भरे हुए लोग।
करते हैं सरहद की बातें;
ये घर में छुपे हुए लोग!!

(3)

तालीम ऊँची पढ़े हुए लोग,
अपनों से ही लड़ें हुए लोग।
करते हैं जमीन की बातें;
ये खुद हवा में उड़े हुए लोग!!

(4)

गिनती के छटें हुए लोग,
नफरतों से सटे हुए लोग।
करते हैं मज़हब की बातें
ये मज़हब में बंटे हुए लोग

(5)

घोड़ी पर चढ़े हुए लोग,
दहेज़ पर अड़े हुए लोग।
करते हैं कीमत की बातें;
ये बारात में खड़े हुए लोग!!

 (6)

झूठे आँसुं रोये हुए लोग,
गंगा में पाप धोए हुए लोग।
करते हैं जन्नत की बातें;
ये जहन्नुम में सोए हुए लोग!!

(7)

शमशान में जले हुए लोग,
सूली पर चढ़े हुए लोग।
करते हैं हसरत की बातें;
ये कब्र में गड़े हुए लोग!!

कुमार हरीश


इस नज्म के पहले मतले को छोड़कर बाकी सब शेर मेरे द्वारा लिखित और मौलिक है, यदि आपको इस नज्म के पहले मतले के शायर का नाम पता चले तो हमें जरुर बताएं, उनके नाम से इसे रौशनी देने में हमें बहुत ख़ुशी होगी।कुमार हरीश

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This Post Has 3 Comments

  1. बहुत खूब हरीश जी। आपने बड़े ही अच्छे तरीके से इस नज्म को पूरा किया है। बहुत खूब।

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