जिंदगी का सफर यूं बदल जाएगा,
मैं न सोचा ये मौका निकल जाएगा।
रंजिशें तोड़ दो छोड़ दो ख्वाहिशें,
क्या पता साथ क्या तेरे कल जाएगा।
जो है किस्मत में मिलकर रहेगा तुम्हें,
दुख का सूरज तुम्हारा भी ढल जाएगा।
कायरों की तरह जी के क्या फायदा,
तेरा जीवन जहां से अटल जाएगा।
डर के कांटो से पीछे न मुड़ना कभी,
वक्त का ये परिंदा चपल जाएगा।
ढलते रजनी हीं आता सवेरा नया,
गिरने वाला भी इक दिन संभल जाएगा।
चंद पल तो तु ‘आनंद’ के साथ जी,
तेरे संग ना जुटाया ये दल जाएगा।
आनन्द कुमार पाण्डेय
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This Post Has 3 Comments
बेहतरीन
आपका बहुत बहुत आभार…
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