आज डॉक्टर्स डे के अवसर पर डॉक्टर्स और चिकित्सा कर्मियों को समर्पित यह कविता –
Hindi Poem on Doctor’s Day, Doctors Day Special Hindi Poem
ईश्वर के बाद इस धरती पे, एक ही है भगवान
लगता है इंसान भले ही , डॉक्टर है भगवान
आज धारा पे मातम छाया, कोरोना स्वरूप में
मृत्यु सबको लील रही, आज काल के रूप में
इस घड़ी में जो बिना डरे , हैं देते जीवन दान
लगता है इंसान भले ही, डॉक्टर है भगवान
जहां हैं हम घर पे बैठे, संग रहते घरवालों के
जीवन बीत रहा चक्कर, काट रहे अस्पतालों के
परिवार से दूर रहें वो, बस करने को कल्याण
लगता है इंसान भले ही, डॉक्टर है भगवान
बुढ़ापे की लाठी रही नहीं,सपना सब था टूट गया
जिसके संग सपने सजाए,सजना संवरना छूट गया
जिनके खातिर रात – दिन , बन गए एक समान
लगता है इंसान भले ही , डॉक्टर है भगवान
यतिम हुए कई बच्चे, माँ – बाप का साया उठ गया
वीरान हुए चूल्हे कई घर के,अपना था जो रूठ गया
ऐसे में जो लड़ते रहे तब , बन के सैनिक प्रतिमान
लगता है इंसान भले ही , डॉक्टर है भगवान
अपना भी कर्तव्य यहां, कुछ अपनी भी जिम्मेदारी
मानवता के रक्षण में हो कुछ अपनी भी हिस्सेदारी
मानवता का धर्म निभाना और है करना सम्मान
लगता है इंसान भले ही , डॉक्टर है भगवान
लेखक राहुल कुमार सिंह से फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें
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This Post Has 2 Comments
राहुल जी आपकी पंक्तियों ने बड़ा ही अच्छा सजीव चित्रण किया है ।
अत्यंत सुंदर वर्णन एक चिकित्सक का.. सार्थकं रचना राहुल जी