~ हिन्दी है देश की पहचान ~
तृण तृण में बसी है हिंदी,
भारत की आत्मा है हिंदी।
हिंदी को ले न पालो क्लेश,
यह घूमती है प्रदेश प्रदेश।
हिंदी पर लोग बने अनजान,
हिंदी है देश की पहचान।
हिंदी रखती आशावादी सोच,
हिंदी के उत्थान पर न मारो चोंच।
यह दूसरा नाम भारतीयता का,
संबंध बनाती है आत्मीयता का।
हिंदी है मीठी बोली के संग,
इसके शब्दकोश पर दुनिया दंग।
हिंदी रही राष्ट्र का आधार,
सैकड़ों के करती सपने साकार।
सब पढ़े अंग्रेजी में गणित विज्ञान,
पर नहीं देते वे हिंदी पर ध्यान।
हिंदी है देश का सम्मान,
कभी न करो तुम इसका अपमान।
– मनोरमा शर्मा
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