कोरोना काल में देश में जो हालत उत्पन्न हुए हैं उन्हें देखकर हृदय में बहुत पीड़ा होती है। उस पीड़ा को काफी समय तक सहने के पश्चात् जो भीतर से फुटन हुई है, आक्रोश उत्पन्न हुवा है, उस क्षोभ को शब्द देकर आज एक कविता लिखी है जो आपके हवाले कर रहा हूँ…
हाकिम को चिट्ठी लिखने की चाहत है
सच लिखूँगा जो भी देश की हालत है।।
राजनीति का विषय नहीं था कोरोना
एकजुट होकर हम लड़े नहीं, ये लानत है।।
नाकाम रही सरकारें अपने वादे पर
इलाज नहीं दे पाए, तुम पर लानत है।।
जिम्मेदार बेचारे सारे बहरे है
आंखों पर मास्क बंधे है इनके, लानत है।।
महंगे इंजेक्शन बेच रहे हैं कुछ डॉक्टर
कालाबाजारी करते हो तुम, लानत है।।
सरदार की मूर्ति से, राम के मंदिर से
कुछ लोगो को हुई शिकायत, लानत है।।
जनता की लापरवाही का परिणाम हुआ
दोष दूसरे पर मढ़ते हो, लानत है।।
हाल हमारा रोज पूछते, कैसे हो
बीमार हुए तो पास नही हो, लानत है।।
दो गज की दूरी रखने की बोला था
मन से सौ गज दूर हो गए, लानत है।।
चिता को अग्नि देने वाला कोई नहीं
सगे बेटों ने मना कर दिया लानत है।।
जिंदा रहकर भी काश के तुम जिंदा रहते
कहाँ मर गई मानवता, सब लानत है।।
कुमार हरीश
यह रचना मेरे द्वारा स्वरचित व पूर्णतया मौलिक है। इसका सर्वाधिकार मेरे पास सुरक्षित है। आपको ये रचना कैसी लगी ? आपके सुझावों व विचारों की प्रतीक्षा मे… कुमार हरीश
कोरोना ने सिर्फ मानवों की हत्या नहीं की है बल्कि इस राक्षस ने मानवता की भी हत्या की है। दो गज की सामाजिक दुरी न जाने कब मानसिक दुरी में तब्दील हो गयी हमें आभास ही नहीं हुवा। उपरोक्त कविता के हर बिंदु पर भयंकर बहस संभव है, आपके विचार मुझसे भिन्न हो सकते है, लेकिन एक विचार पर आप मुझसे भिन्न खड़े नहीं रह सकते, वो है मानवता। मानवता के लोहे पर जंग तो वर्षों से लग रहा है किन्तु अब इसकी परते उखड़ने लग गयी है, इससे पहले की मानवता और क्षीण हो, हमें इसे पुनःजीवित करने करने के प्रयास करने होंगे।
लेखक की अन्य कवितायेँ यहाँ पढ़े
अब ऐसे राम पैदा नहीँ होते – कुमार हरीश
“लिखो भारत ”- कविता – कुमार हरीश
कोरोना , कोरोना पर कविता, कोरोना पर हिंदी कविता, corona hindi kavita, hindi kavita on corona, corona poem, poem on corona, corona poem in hindi
This Post Has 8 Comments
बहुत ही सटीक, आज की स्थिति पर।
लाजवाब
इसी तरह उत्साह बढ़ाते रहें…
मनमोहक मनभावन
आभार, ऐसे ही स्नेह प्रदान करते रहे…
Pingback: आयुर्वेद बनाम एलोपैथी – कविता- कवि कौटिल्य : कविता | लिखो भारत
Pingback: लिखो भारत - कविता - कुमार हरीश : कविता - | लिखो भारत
Pingback: जिंदगी का सफर - आनन्द कुमार पाण्डेय : गीत | लिखो भारत
Pingback: अब ऐसे राम पैदा नही होते - कुमार हरीश : कविता | लिखो भारत