~ देशभक्ति पर कविता ~
स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर
आओ हम कुछ याद करें
आजादी के दीवानों की
आज फिर से बात करें।
गुलामी के जंजीरों में
जकड़ गया जब भारत था
तब भारत के वीरों ने
ब्रिटानियों को ललकारा था।
सन अठ्ठारह सौ सनतावन का
पहला विद्रोह हमारा था
“मारो फिरंगी को” को गूंज उठा
यह मंगल पांडे का नारा था।
मातृभूमि की रक्षा खातिर
कफ़न सिर पे बांधा था
तेईस साल में मरने वाला
भगत सिंह कुवांरा था।
सुखदेव संग राजगुरु ने
देश का कर्ज उतारा था
“इन्कलाब” का नारा इनको
जान से भी प्यारा था।
“आजाद हूँ, आजाद मारूंगा”
चन्द्रशेखर का वादा था
सत्य, अहिंसा पथ पर चलकर
गाँधी ने देश संभाला था।
देश की खातिर माताओं ने
बेटों को तिलक लगाया था
रक्त का कतरा कतरा देकर
अपना फर्ज निभाया था।
आओ ऐसे बलिदानों को
हम नमन करें, प्रणाम करें
उनके देखें स्वप्न को
आओ फिर से साकार करें।
– नीरज श्रीवास्तव
मोतिहारी, बिहार, भारत
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This Post Has 3 Comments
बहुत ही सुंदर नीरज भैया सादर प्रणाम आपको 🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत बहुत आभार और धन्यवाद राहुल जी।
राहुल जी,
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार।