गगन के बादल से
जो गिरी ओस
उसकी बूंदो से निर्मित
भारत!!
प्रकृति के भू-गर्भ से
जो जली ज्योति
उसकी लौ से निर्मित
भारत!!
विहार की ऋचाओं से
जो जागा विश्व
उसके ज्ञान से निर्मित
भारत!!
पृथ्वी के ह्रदय से
जो हुआ सृष्टि का अवतरण
उसकी भव्यता से निर्मित
भारत!!
झरनों के आँचल से
जो गिरा पवित्र जल
उसकी निर्मलता से निर्मित
भारत!!
पंछियों की कूक से
जो गूंजा संगीत
उसकी झंकार से निर्मित
भारत!!
डॉ. ज्योति सिंह वेदी ‘येशु’
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बलात्कारी समाज – कविता
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