“भाई बहन का रिश्ता”
भाई, जिसको हम अपना एक प्रिय मित्र भी कह सकते है, भाई बहन का रिश्ता एक अनमोल और अनोखा रिश्ता होता है, जो सबसे पवित्र माना गया है । बचपन में हमारा सबसे प्रिय भाई ही होता है, क्योंकि उसके ही साथ ही हम खेलते और झगड़ते है, लेकिन जब बहन बड़ी हो जाती है तब उनकी शादी हो जाती है, और भाई बहन का रिश्ता और मजबूत हो जाता है क्योंकि अब बहन के प्रति भाई की जिम्मेदारी बड़ जाती है, आज ब्रदर्स डे के मौके पर इक बहन की कलम से पेश है भाई बहन के रिश्ते को गहरा अहसास देती ये कविता जिसे पढ़कर आपको भी अपने बचपन की याद आने लगेगी ।
एक रिश्ता…
जो ना किसी धागे का मोहताज है
ना किसी राखी के त्यौहार का
क्या रिश्ता है !
बस इतना कि
एक ही पिता का बीज है हम…
या इतना कि
एक ही माँ के गर्भ में पले है हम…
या इतना कि
एक ही रास्ते से इस दुनिया में आये…
या इतना कि
एक ही माँ की छाती से अमृत पीया…
या इतना कि
एक ही आँगन में जी भर के खेले…
या इतना कि
एक ही झूले में हम दोनों झूले…
या इतना कि
गलती एक की होने पर दोनों ने सजा पाई…
या इतना कि
लोरी सुनने के लिए माँ बीच में सुलाई…
या इतना कि
एक दूजे के लिए दुनिया से लड़ जाते थे…
या इतना कि
एक दूसरे से कभी जीत नहीं पाते थे…
या इतना कि
एक दूसरे के हिस्से का खा जाते थे…
या इतना कि
अपने हिस्से का भी बांटे बिना खा नहीं पाते थे….
या इतना कि
मेरी शादी तय का तुम जश्न मनाया करते थे…
या इतना कि
मेरी विदाई पर छुप छुप कर आंसू बहाया करते थे…
या इतना कि
मेरे आने पर मुझसे लिपट जाया करते थे…
या इतना कि
दो ही दिन बाद मुझे मेरे ही घर से भगाया करते थे…
या इतना कि
आज मिलने को तरस जाया करते है…
या इतना कि
अब मिलने पर एक दूजे के गले लगकर बरस जाया करते है…
या इतना कि
हफ़्तों तक फोन पर बात नही करते…
या इतना कि
जब बात करते हैं तो दोनों फोन नहीं रखते…
भाई की याद बहुत आती है
इसलिए कुछ दिन हम पीहर चले जाते हैं
जिनके भाई होते है
उनके रास्तें के कांटें खुद-बे-खुद हट जाते हैं।
रितु नामा
– हमें विश्वास है कि हमारे लेखक स्वरचित रचनाएं ही यहाँ प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित लेखिका का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
हम आशा करते है आपको भाई बहन के रिश्ते पर लिखी हुई यह कविता पसंद आएगी। अगर अच्छी लगे तो शेयर जरूर करे।
This Post Has One Comment
Supar