बचपन की यादों का समावेश करती यह कविता ‘बचपन’
छोटी छोटी आंखों में बड़े बड़े सपने संजोते हैं,
आसमां को छूने का विश्वास मन में रखते हैं,
चिंता फिक्र से होता नहीं वास्ता ,
हंसी ठठोली में रात दिन बीतता,
खेलने कूदने में मन सदा रमा रहता,
हर कोई प्यार से दुलारता ,
संगी साथियों के संग पाठशाला में जाना भाता,
हर किसी से प्यार खूब मिलता है,
पाठशाला में जाकर खूब करते मजा ,
कभी कभी टीचर से डांट भी पड़ती,
एक दूसरे से प्यार बहुत करते,
कभी कभी एक दूसरे से थोड़ी नोक झोंक भी करते,
हौंसले बुलंद होते हैं बचपन में,
पक्षी की तरह उड़ान भरने की चाहत होती है मन में,
बचपन की नादानी बहुत सीख दे जाती,
जिंदगी के नए नए अनुभव कराती।
– अमरजीत सिंह
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This Post Has 2 Comments
बचपन का साक्षात दर्शन करा दिया आपने।
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