

अंतशय्या जयचंदों की
देश के गद्दारों के ऊपर कुठाराघात करती चर्चित कवि राहुल कुमार सिंह की यह कविता अंतशय्या जयचंदों की जो अपमान करे निज माटी का,
देश के गद्दारों के ऊपर कुठाराघात करती चर्चित कवि राहुल कुमार सिंह की यह कविता अंतशय्या जयचंदों की जो अपमान करे निज माटी का,
काश ये वारदात नहीं होती जान तू बेवफ़ा नहीं होती और था हर सितम कुबूल मगर मुझसे बस तू जुदा नहीं होती मार देता तू
अब मुझको भी ज़ाम से वफा हो गई । जब से तू जानेमन बेवफा हो गई ।। आतिश बंद जलाया गुलिस्तान को । खुशियां जीवन
आज डॉक्टर्स डे के अवसर पर डॉक्टर्स और चिकित्सा कर्मियों को समर्पित यह कविता – Hindi Poem on Doctor’s Day, Doctors Day Special Hindi Poem
काश तुमसे न कभी जान जुदाई होती मेरी आँखों से ये बरसात न आई होती मेरी दुनिया न बसाते तो चलो सह लेते बन
पूर्णमासी चाँद-सा चेहरा, बहकी-बहकी चाल, आँखों से मैखाना छलके, नागिन जैसे बाल परी हो या अप्सरा सभी, तेरे पैरों की धूल नाक तुम्हारी तोते जैसी,
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