achhe-din

अच्छे दिन

~ अच्छे दिन ~

अच्छे दिन के स्वप्न दिखाकर
महंगाई मिली उपहार में
तेल तो उछल उछल नर्तन करता
भारत के बाजार में।

कह रहा है और सभी से
न पीछे हूँ अबकी बार मैं
अच्छे दिन आ गए है भैया
मोदीजी की सरकार में।

चुप रहो पर कुछ ना बोलो
बात करो ना महंगाई की
देश आगे बड़ रहा है
नौकरी जाये चाहे भाई की।

गैस सिलेंडर का दाम बड़ा है
पेट्रोल डीजल जिद पर अड़ा है
पर किसान तो अभी बॉर्डर पर पड़ा है
बेरोजगार युवा चौराहे खड़ा है।

कालाधन तो आया नही
बंगाल में जुमला भाया नही
पर चुप रहो पर कुछ ना बोलो
धर्म खतरे में आ जायेगा।

जो सरकार के विरोध में होगा
वो देश द्रोही कहलायेगा
टीवी मीडिया बिका हुआ है
झूठ के सहारे टिका हुआ है।

मस्त है वो मुर्गो की लड़ाई में
लगा है टीआरपी की भरपाई में
मजदूरों की अब बात नहीं होती
डिबेट में किसी नेता की कभी मात नहीं होती।

जनता को लाभ मिला
शून्य बटा सन्नाटा है
जनता के रूपये जनता को देकर
महंगाई का मिला चाटा है।

में किसी का प्रतिपक्ष नहीं हूँ
पर जनता की आवाज़ हूँ
जो सुर्खिया छुट गई है
उस खबर का साज हूँ।

रूपचंद सोनी

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This Post Has 2 Comments

  1. बहुत खूब सोनी जी मज़ा आ गया। क्या व्यंगात्मक कविता प्रस्तुत किया है आपने सम सामयिकी पर। बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आप सब से। धन्यवाद और आभार सोनी जी।

  2. kavi & singer R.c. Soni

    धन्यवाद जी

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