आजा कन्हैया
फिर से ले अवतार मिटे पाप का परचम,
सृष्टि के उत्थान हेतु आया तू हरदम।
आजा फिर से आजा ओ सृष्टि के रचैय्या,
आ रे कन्हैया रे कन्हैया रे कन्हैया….
आके फिर से बांसुरी की तान सुना दे,
संग गोपियों के फिर से आके रास रचा दे।
उपकार कर भक्तों पे आजा बन जा खिवैय्या,
आ रे कन्हैया रे कन्हैया रे कन्हैया…..
जहां नाद धर्म का था आज मौन खड़ा है,
मत पूछना कि कंस बना कौन खड़ा है।
ना पार्थ सा ना भीम सा ना नकुल सा भैया,
आ रे कन्हैया रे कन्हैया रे कन्हैया…..
हर नारी की लाज आज तेरे हाथ है कान्हा,
वो नहीं अबला तू जिनके साथ है कान्हा।
हर द्रोपदी की रक्षा सदा करना कन्हैया,
आ रे कन्हैया रे कन्हैया रे कन्हैया….
गीता का वही ज्ञान हर ह्रदय में जगा दे,
इस तिमिर में दीप्ति की ज्योत जगा दे।
क्यों सत्य पड़ा आज विवश बाणों की शैया,
आ रे कन्हैया रे कन्हैया रे कन्हैया…..
रविंद्र कुमार सिरोही’रवि’
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बहुत सुंदर