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जादू कलम का 

गीत
आनंद कुमार पांडेय

लिख रही है कलम

आज का ये जहाँ पहले जैसा कहाँ, रो-रो हर दास्ताँ लिख रही है कलम। याद बचपन की वो खेल मैदान की, माँ की वो लोरियां

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